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Published Date

September 21, 2025

Category

IVF

क्या आईवीएफ दर्दनाक है? विशेषज्ञ की राय


क्या आईवीएफ दर्दनाक होता है? – जानिए डॉ. रुचि मल्होत्रा से

बांझपन (Infertility) आज के समय में कई दंपत्तियों के लिए एक चुनौती है। चिकित्सा विज्ञान में हुई प्रगति के कारण अब माता‑पिता बनने का सपना आईवीएफ (In Vitro Fertilization) जैसी आधुनिक तकनीकों से संभव हो गया है। परंतु, जब भी दंपत्ति आईवीएफ करवाने के बारे में सोचते हैं, उनके मन में सबसे पहला सवाल यही आता है – “क्या आईवीएफ दर्दनाक होता है?”

इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए हमसे बातचीत करती हैं डॉ. रुचि मल्होत्रा, वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ और आईवीएफ स्पेशलिस्ट, सेहगल नर्सिंग होम, नई दिल्ली। आइए जानते हैं विस्तार से।

आईवीएफ प्रक्रिया को समझना ज़रूरी है

आईवीएफ कई चरणों में पूरी होने वाली एक चिकित्सा विधि है। इसमें स्त्री के अंडाणु (eggs) और पुरुष के शुक्राणु (sperm) को प्रयोगशाला में मिलाकर भ्रूण (embryo) तैयार किया जाता है और फिर उसे गर्भाशय (uterus) में स्थानांतरित किया जाता है।
इस पूरी प्रक्रिया के मुख्य चरण हैं –

  1. अंडाशय को उत्तेजित करना (Ovarian Stimulation)
  2. अंडाणु निकालना (Egg Retrieval)
  3. भ्रूण निर्माण और विकास (Fertilization & Embryo Culture)
  4. भ्रूण को गर्भाशय में स्थानांतरित करना (Embryo Transfer)

अब सवाल यह है कि इनमें से कौन सा चरण दर्द दे सकता है और कितनी सीमा तक।

क्या आईवीएफ सच में दर्दनाक होता है?

डॉ. रुचि मल्होत्रा के अनुसार –

  • अंडाशय को उत्तेजित करना: इस चरण में महिला को हार्मोन इंजेक्शन दिए जाते हैं, ताकि अंडाणु अधिक संख्या में परिपक्व हो सकें। ये इंजेक्शन हल्की चुभन या कभी‑कभी सूजन का अहसास करा सकते हैं, लेकिन यह दर्दनाक नहीं कहा जा सकता।
  • अंडाणु निकालना: यह आईवीएफ की सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। यह अल्ट्रासाउंड गाइडेड सुई (needle) के माध्यम से की जाती है और मरीज को हल्की बेहोशी (sedation) दी जाती है। इस कारण प्रक्रिया के दौरान कोई दर्द महसूस नहीं होता। हल्की असुविधा या ऐंठन बाद में हो सकती है, लेकिन यह अस्थायी होती है।
  • भ्रूण स्थानांतरण (Embryo Transfer): यह एक बहुत ही सरल और लगभग दर्द‑रहित प्रक्रिया है। यह गर्भाशय में कैथेटर के माध्यम से किया जाता है और इसमें सुई या कट की आवश्यकता नहीं होती। कुछ महिलाओं को हल्का क्रैम्पिंग हो सकता है, जो खुद‑ही खत्म हो जाता है।

मानसिक तनाव बनाम शारीरिक दर्द

अक्सर मरीजों को लगता है कि आईवीएफ का अनुभव “दर्दनाक” है, जबकि अधिकतर असुविधा शारीरिक कम और मानसिक अधिक होती है। लगातार इंजेक्शन, अस्पताल आना‑जाना, और परिणाम की चिंता महिला को भावनात्मक रूप से थका सकती है। इस स्थिति में परिवार का सहयोग और डॉक्टर से निरंतर संवाद बेहद ज़रूरी होता है।

दर्द से बचाव और देखभाल

डॉ. रुचि मल्होत्रा बताती हैं कि आज की तकनीक और दवाइयों के प्रयोग से आईवीएफ प्रक्रिया को सुरक्षित और आरामदायक बनाया जा चुका है।

  • मरीज को हल्की बेहोशी दी जाती है, जिससे प्रक्रिया के दौरान आराम रहे।
  • बाद की असुविधा को कम करने के लिए सामान्य दर्द निवारक दवाएँ पर्याप्त होती हैं।
  • डॉक्टर और टीम हर चरण में मरीज को गाइड करती है, ताकि वह मानसिक और शारीरिक रूप से सहज महसूस करे।

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निष्कर्ष

आईवीएफ को लेकर यह मिथक कि यह “बहुत तकलीफ़देह” प्रक्रिया है, सही नहीं है। असलियत यह है कि यह एक थोड़ी असुविधाजनक परंतु ज्यादा दर्दनाक न होने वाली प्रक्रिया है।
डॉ. रुचि मल्होत्रा का मानना है कि सही मार्गदर्शन और अनुभवी विशेषज्ञों की देखरेख में आईवीएफ करवाना सुरक्षित होता है और इसकी असुविधा से कहीं ज़्यादा इसकी सफलता का महत्व है – यानी माता‑पिता बनने का अनमोल सुख।

यदि आप भी आईवीएफ से जुड़ी किसी शंका या डर का सामना कर रहे हैं, तो सेहगल नर्सिंग होम में विशेषज्ञ परामर्श लेकर अपनी चिंता दूर करें। याद रखें, सही जानकारी और सही डॉक्टर – आपके पेरेंटहुड के सफर को आसान और सुखद बना सकते हैं।

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